युवा शक्ति का शौर्य
युवा शक्ति का शौर्य
स्वामी विवेकानंद के जन्म दिवस 12 जनवरी को हम राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाते हैं ।1984को संयुक्त राष्ट्र ने (अंतरराष्ट्रीय युवा वर्ष )घोषित किया। तभी से हम 12जनवरी को (राष्ट्रीय युवा दिवस) मनाते हैं । (नर सेवा नारायण सेवा )का युवाओं में बीज मंत्र देने वाले स्वामी विवेकानंद का आज विश्व160वीं जन्म जयंती हम मना रहे हैं। उम्र के 40 साल भी ना पाए जिस विवेकानंद ने उन्हीं स्वामी विवेकानंद की मृत्यु 120 वर्ष बाद भी उनकी जन्म जयंती पर भारत के साथ संपूर्ण विश्व उनको प्रेरणा के रूप में याद कर रहा है ।भारत को पुनः विश्व गुरु की उपाधि का एक सपना स्वामी विवेकानंद ने युवावर्ग को प्रदान किया। उनकी यह भविष्यवाणी देश के युवाओं की कर्तव्यनिष्ठाके द्वारा सत्य होती प्रतीत हो रही है। विवेकानंद का पहला संकल्प था विकसित भारत,अमेरिका से लौटकर स्वामी विवेकानंद ने देशवासियों को संबोधित करते हुए कहा (नया भारत निकल पड़े मोची की दुकान से ,भडभूजे के भाड़ से ,कारखाने से ,हाट से, बाजार से, निकल पड़े झोपड़ियों से ,जंगलों से ,पहाड़ों से ,पर्वतों से और खेत खलियान से ।और पुनः भारत को विश्व गुरु के पद पर आसीन कर दे । जब हमारा देश परतंत्रता की बेड़ियों में जकड़ा हुआ था,तब किसी ने स्वामी जी से पूछा मेरा धर्म क्या है तब स्वामी जी ने कहा था( गुलाम का कोई धर्म नहीं होता) तभी उन्होंने दूसरा संकल्प देश को दिया,( गुलामी से मुक्ति) स्वामी जी कहा करते थे ,हम वह है जो हमें हमारी सोच ने बनाया है , इसलिए इस बात का ध्यान रखिए आप क्या सोचते हैं ,शब्द गौण हैं विचार रहते हैं वे दूर तक यात्रा करते हैं । अर्थात अपने मन मस्तिष्क में गुलामी का कोई भी विचार ना रहने दें। 11 सितंबर1893 का स्वामी जी का शिकागो में दिया गया भाषण भारत की विरासत पर गर्व करने का सर्वोत्तम उदाहरण है ,जब भारत गुलामी गुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ था ,तब स्वामी विवेकानंद ने भारत की प्राचीन सभ्यता ,संस्कृति ,विरासत अध्यात्म और वैभवशाली इतिहास के बारे में विदेशी धरती पर गर्व के साथ बताया । उसके बाद पुनः भारत को मान सम्मान मिला । गुलामी के कारण जो हीनता का भाव भारतीयों में आया था वह खत्म हुआ। मानो किसी नये सवेरे ने जन्म लिया। विश्वविजय की इस यात्रा से सभी भारत वासियों मेंऊर्जा की एक नई लहर दौड़ी और भारत फिर से परम वैभव को प्राप्त करने की दिशा में अग्रसर हुआ । विवेकानंद का चौथा संकल्प था एकता और एकजुटता पर स्वामी जी का विश्व को संदेश था कि जल्दी हर धर्म की पताका पर लिखा हो विवाद नहीं सहायता, विनाश नहीं संवाद, मतविरोध नहीं समन्वय और शांति । स्वामी विवेकानंद ने देशवासियों से कहा था इस बात पर गर्व करो तुम एक भारतीय हो ,और अभिमान के साथ यह घोषणा करो कि हम भारतीय हैं ,और प्रत्येक भारतीय हमारा भाई है। स्वामी विवेकानंद के विचारोंसे भारतवासी पूर्णताअपने अंदर गर्व महसूस करते थे । स्वामी विवेकानंद ने भारतवासियों में पांचवा संकल्प था ( नागरिकों का कर्तव्य ) स्वामी विवेकानंद द्वारा लिखित कर्म योग नामक पुस्तक का चौथा अध्याय है कर्तव्य क्या है ?इसमें उन्होंने जीवन के हर कर्तव्य के बारे में विस्तार से बताया है ।स्वामी जी ने लिखा ,हमारा पहला कर्तव्य है (हम अपने प्रति घृणा ना करें ) युवा शक्ति को आह्वान करते हुए स्वामी विवेकानंद के विचार अत्यंत महत्वपूर्ण है ।हमारी आध्यात्मिक शक्ति गौरवपूर्ण संस्कृति संस्कारों से ओतप्रोत ,अद्भुत सामर्थसंपन्न, वसुधैव कुटुंबकम के भाव के कारण विश्व में पूजनीय है । स्वामी विवेकानंद के जन्मदिन को युवा दिवस के रूप में मनाने का महत्वपूर्ण संदेश युवा वर्ग को संगठित कर देश को यशस्वी और कीर्तिमान बनाना है ।
जया शर्मा प्रियंवदा
Rupesh Kumar
18-Dec-2023 07:36 PM
Nice
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Gunjan Kamal
18-Dec-2023 05:40 PM
👌👏
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Khushbu
18-Dec-2023 05:11 PM
Nyc
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